सर ऊपर उठाकर देखने में कोई हर्ज़ नहीं
सर ऊपर उठाकर देखने में कोई हर्ज़ नहीं
झुके हुए मस्तक सत्कार से अलग होते नहीं
दुनियां की रंगरलियों को अच्छी तरह से जानता हूँ मैं
सही जगह पर उठें और झुकें तो ही उन्हें पहचानता हूँ मैं .
झुके हुए मस्तक सत्कार से अलग होते नहीं
दुनियां की रंगरलियों को अच्छी तरह से जानता हूँ मैं
सही जगह पर उठें और झुकें तो ही उन्हें पहचानता हूँ मैं .
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