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हिंदी दिवस पर कविता

हिंदी दिवस पर कविता

निराला हूँ मै, मधुशाला हूँ मै

साहित्य का हाला हूँ मै ,मतवाला हूँ मै
परीक्षा हूँ मै ,पुरस्कार हूँ मै
मानवता का प्यार हूँ मै ,
साहित्य का संसार हूँ मै
तपस्वी हूँ मै, मनस्वी हूँ हूँ मै
यशश्वी हूँ मै ,ओजश्वी हूँ मै
युग परिवर्तन हूँ मै, पुरातन दर्शन हूँ मै
हर कल्पना हूँ मै ,हर आधार हूँ मै
साहित्य की आत्मा हूँ मै
हर कलम में परमात्मा हूँ मै
साहित्य के कण -कण में,नभ थल जल में
युग परिवर्तन की पगडण्डी हूँ मै
हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!

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