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आओ चंद लम्हे साथ बिताये

आओ चंद लम्हे साथ बिताये
कुछ कही कुछ अनकही
बात हो जाये
रुह से रुह की मुलाकात
हो जाये
हम तुम , तुम हम एकाकार
हो जाये
न कोई दूरी हो न कोयी मजबूरी
एहसासो मे पक कर अपना
रिश्ता और मधुर हो जाये
सुनीता पुष्पराज पान्डेय

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