घबराया है गधा बिचारा, डगमग होती नैया, डूब न जाऊं बीच भंवरमें, कहता दौड़ो भैया। ऐसी ही हालत जनता की, नेता बना खिवैया, लेकर वोट नहीं सुध लेता, वह है 'राज' डुबैया। -राजकुमार धर द्विवेदी
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