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चल छोड सब को

एक दिन यमराज आए मेरे सपनों मे
ठंडी आवाज मे बोले, चल बहुत रह लिया अपनो मे

पाया क्या है तूने यहॉ, जो खो जाएगा
जागेगा ना कोई तेरी याद मे, सारा जहां सो जाएगा

ना था तेरा कोई, ना तू किसिका अपना था
समझ बैठा जिसे तू सच, वो तो खैर एक सपना था

यहॉ तो सब कुछ दिखावा होता है
बांटता है ना कोई दुख, ना कोई किसि के लिये रोता है

अपने हो जाते है पराए एक पल में
आज तू हक़िक़त है, समा जाएगा तेरा नाम भी कल मे

ना रहेगा निशान, जहां तू कभी मौजूद था
मानो जैसे तेरी ना कोई हस्ती थी, ना ही कोई वजूद था

अब तेरी कोई वजह नही यहां रहने की
चल छोड सब को, तेरी सरहद आ गई गम सहने की


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