कैसे बयान करे आलम दिल की बेबसी का, वो क्या समझे दर्द आंखों की नमी का.. ऊनके चाहने वाले ईतने हो गये की….. उन्हे एहसास नहीं हमारी कमी का............. अंगद ओझा बड़का बिहारी ......................................
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