ना होठ खुलते हैं, ना जाम मिलते हैं इश्क के मयखाने में यही दास्तान मिलते हैं उन शाखों पे दिल ने आशियाँ बनाया जिनपे तिनकों के न कोई मकाँ मिलते हैं मैं चल पड़ा हूँ पगडंडियों पे अकेले जहाँ ये जमीं न आसमान मिलते हैं इस शहर में दिल का जीना बड़ा मुश्किल यहाँ जख्म देनेवाले सरेआम मिलते हैं
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