Header Ads

Header ADS

जहाँ डाल-डाल पे कभी सोने
की चिड़िया करती थी बसेरा,
वहां पग-पग पर मिलता है आज चोर – उचक्कों का डेरा,
कल था ये राम का भारत जो आज बना दसानन की लंका,
क्या गाँव क्या शहर हर जगह बज रहा अन्याय का डंका,
होती है यहाँ झूठ की पूजा और बेबस सच को मार
दिया जाता है,
मुल्क के गद्दारों और देश-द्रोहियों पर करोड़ों वार
दिया जाता है,
पैसा ही है सब कुछ पैसा ही भगवान
बना पैसा ही पिता व माता है,
दौलत के चक्कर में छूटा घर परिवार और टूटा हर
रिश्ता नाता है,
जुल्मी – अन्यायी – भ्रष्टाचारी हाथों ने थामी है देश
की सत्ता,
झूठ – पाखंड और निरंकुशता ने जमाया है चहुँ ओर सिक्का,
यहाँ सब कहते हैं कि उस रब की मर्ज़ी से हिलता है हर
पत्ता,
न जाने फिर भी गर्भ में कैसे हो जाती है
मासूमों की हत्या,
कल का मानव आज है दानव जो बना हुआ है व्याभिचारी,
दानवता के सम्मुख देखो सिसक रही है मानवता बेचारी,
ये घर की लक्ष्मी घर की इज्ज़त देखो फिरती मारी-
मारी,
लाल की भूख मिटाने की खातिर अस्मत बेचती महतारी,
चंद सिक्कों की खातिर भाई-भाई आपस में लड़ रहे हैं,
यहाँ सैकड़ों लाचार गरीब भूख-प्यास से तड़प मर रहे हैं,
कहीं पे देखो अनाजों के ढेर बारिशों में सड़ – गल रहे हैं,
और कहीं पे भूखे बच्चे एक-एक निवाले को बिलख रहे हैं,
कभी सब मिलकर करते थे आपस में खूब हसी-ठिठोली,
सब मिलजुल मनाते थे क्या बैसाखी क्या ईद क्या होली,
अब होती खून की होली जीवन की कीमत है एक गोली,
आज तो खुद भाई ही लूट रहे हैं अपनी बहिनों की डोली,
रोज बढती महंगाई ने सबके दिल में खोट भर दिया है,
बे- हिसाब मिलावट ने हर चीज को ज़हर कर दिया है,
पाश्चात्य संस्कृति ने हम सबको यूँ मजबूर कर दिया है,
कला सभ्यता और परंपरा से हमें कोसों दूर कर दिया है,
यहाँ कभी बहतीं थीं दूध की नदियाँ ये बात पुरानी है,
यहाँ ज़हर हुआ है दूध आज और दूध हो चुका पानी है,
“मधुर” कहे कि यहाँ ईमान की बात
करना भी बेमानी है,
कुछ और नहीं, ये तो मेरे आज के भारत की नई
कहानी है…..!! Angad ojha

No comments

Powered by Blogger.